जिले में ध्वनि
व वायु प्रदूषण
फैलाते हुए बेरोकटोक
दौड़ रहे वाहन
चालकों पर परिवहन
महकमा पूरी तरह
मेहरबान है। ऐसे
चालकों के विरुद्ध
अभियान चलाकर कार्रवाई करने
को लेकर गत
दिनों किया गया
महकमे का दावा
भी अब तक
थोथा ही साबित
हो रहा है।
विभाग की ओर
से प्रदूषण जांच
अनिवार्य किए जाने
के बावजूद प्रदूषण
फैलाने वाले वाहन
चालकों के विरुद्ध
अब तक कोई
कार्रवाई नहीं होने
से उनके हौसले
बुलंद हैं। इसके
अलावा केरोसिन डालकर
तिपहिया वाहन चलाने
वालों पर भी
कोई कार्रवाई नहीं
हो सकी है। विभाग प्रदूषित वाहन
चालक के विरुद्ध
कार्रवाई करे तो
जांच में डिफाल्टर
पाए जने पर
तीन महीने के
लिए चालक का
ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित हो
सकता है। इसके
अलावा जुर्माना भी
अदा करना पड़ता
है। परिवहन विभाग की ओर
से वाहनों की
प्रदूषण जांच के
लिए लागू की
गई मोबाइल वेन
योजना जिले में
फ्लॉप साबित हुई
है। आमजन की
बेरूखी और पर्याप्त
प्रचार-प्रसार के अभाव
में जिला परिवहन
कार्यालय चूरू में
तारानगर क्षेत्र से महज
एक जने ने
आवेदन किया।
आवेदन पर उसे
स्वीकृति जारी कर
दी गई। मगर
थोड़े दिन वेन
चलाने के बाद
आवेदक ने वो
भी बंद कर
दी। ऐसे में
वर्तमान में जिले
में फिलहाल एक
भी मोबाइल प्रदूषण
जांच केंद्र नहीं
है।
ये है योजना: सरकार
की योजना के
मुताबिक आईटीआई प्रशिक्षित युवाओं
को आवेदन करने
पर प्रदूषण जांच
केंद्र खोलने की अनुमति
दी जाती है।
दो हजार रुपए
की फीस जमा
करवाकर युवा अपना
मोबाइल वेन प्रदूषण
जांच केंद्र शुरू
कर सकते हैं।
इसके लिए वेन
में प्रदूषण जांच
की मशीन लगानी
पड़ती है। जांच
के लिए जिला
परिवहन अधिकारी से जारी
होने वाला लाइसेंस
दो वर्ष के
लिए मान्य होगा।

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